"सुन्दर" सी एक "सूरत" हो "तुम", "सादगी" की एक "मूरत" हो "तुम"...
"सोचते" हैं, इतना तुम्हें ना "देखा" करें, मगर "ज़िन्दगी" की "ज़रूरत" हो "तुम"....